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Tax Incentive: नई फर्मों को EV पार्ट्स के लिए ‘Make in India’ को दे सकता है बढ़ावा

make in India for EV parts Hindi

भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इंडस्ट्री को नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स के कारण इन पर भी भारी प्रभाव पड़ने की आशंका है।

भारत के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के अधिकांश मैन्युफैक्चर और उनके कंपोनेंट्स ने निवेश की योजना बनाई हैं। और उन्हें फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण द्वारा की गई घोषणाओं के साथ लोकल मैन्युफैक्चरिंग के लिए अपनी योजनाओं की गति को तेज़ करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।

साथ ही घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुछ कदम लिए जाने की उम्मीद हैं। खासकर लिथियम-आयन बैटरी, चार्जिंग इक्विपमेंट, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के उत्पादन में। जिससे ह्यब्रिडस और यहां तक ​​कि कन्वेंशनल इंटरनल कंबुसशन व्हीकल्स के उत्पादकों को भी लाभ होगा।

आपकी जानकारी के लिए बता दे, ऑटो इंडस्ट्री, इसकी विशाल ऑटो एंसीलरी सप्लाई चैन के साथ, भारत के मैन्युफैक्चरिंग GDP का 49% हिस्सा है।

सीतारमण ने घोषणा की कि 1 अक्टूबर या उसके बाद स्थापित होने वाली नयी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां 15% के रेट पर इनकम टैक्स का भुगतान करेंगी। लेकिन यह लाभ केवल उन कंपनियों को मिलेगा जो किसी भी अन्य इंसेंटिव का लाभ नहीं प्राप्त करती हैं, और साथ ही 31 मार्च 2023 को या उससे पहले उत्पादन शुरू कर देती हैं।

इन कंपनियों के लिए इफेक्टिव टैक्स रेट सरचार्ज और सेस को मिलाकर 17.01% होगा। इसके आलावा, ऐसी कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

EV सेक्टर से जुड़ी हुई नयी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की एक भीड़ EV की सेल को और अधिक फायदेमंद बनाकर और कच्चे तेल के इम्पोर्ट के साथ साथ ज्यादातर बड़े शहरो में पॉलुशन के इस बढ़ते हुए और उच्च स्तर को कम करके मोदी एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा किये जा रहे प्रयासों को बढ़ाएगी।

आपकी जानकारी के लिए बता दे, इससे पहले भी, भारत में केंद्र सरकार ने हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के फास्टर अडॉप्शन पर मैन्युफैक्चरिंग या FAME 2 योजना के तहत भारत में EV एडॉप्शन लेने की गति में तेज़ी लाने के लिए ₹10,000 करोड़ अलॉटमेन्ट किये थे।

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