Pharma Firms पर सबसे अधिक साइबर हमलों के लिए 6 वें स्थान पर है भारत
- Giridih City Updates
- Sep 16, 2019
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कल एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत दुनिया का छठा ऐसा देश है, जहां साइबर अपराधियों द्वारा ज्यादा से ज्यादा फार्मास्युटिकल कंपनियों को अपना निशाना बना रहे है।
साइबर सिक्योरिटी फर्म ‘Kaspersky‘ ने कहा कि भारतीय फार्मास्युटिकल ओर्गनइजेशन्स की लगभग 45 प्रतिशत मशीनों में 10 डिवाइस में से चार से अधिक में मलिसियस एटेम्पट के साथ पाया गया।
2017 में 44 प्रतिशत मशीने इन्फेक्टेड थी और 2018 में इसमें 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। और इस वर्ष की डिटेक्ट एटेम्पट की संख्या से पता चलता है कि अब फार्मास्यूटिकल फैसिलिटी के अंदर लगभग हर 10 में से 5 डिवाइस को वैश्विक स्तर पर टारगेट किया जा रहा है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे, सबसे ज्यादा साइबर हमले होने वाले देशों में पाकिस्तान (54 प्रतिशत) के साथ पहले स्थान पर, मिस्र (53 प्रतिशत) दूसरे पर, मैक्सिको (47 प्रतिशत) तीसरे पर, इंडोनेशिया (46 प्रतिशत) चौथे पर, स्पेन (45 प्रतिशत) पांचवे पर और भारत छठे स्थान पर हैं।
Kaspersky के ग्लोबल रिसर्च और एनालिसिस टीम (GReAT) रूस के हेड ‘Yury Namestnikov‘ ने कहा कि “हालांकि यह फैक्ट सबको पता है कि पैसे के भूखे साइबर क्रिमिनल्स बैंकों पर हमला करके आसानी से पैसे लूट सकते हैं। और साथ ही हम यह भी देखते हैं कि इन हैकरों के साथ-साथ साइबरस्पेस ग्रुप धीरे-धीरे एडवांस चिकित्सा की इंडस्ट्री की ओर बहुत अधिक ध्यान दे रहे हैं।”
फार्मास्यूटिकल्स के अंदर इंटरनेट से जुड़ी ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी (OT) का विकास भी इस सेक्टर के अंदर विडेनिंग हमले के सरफेस में योगदान प्रदान करता है।
इनग्राम माइक्रो के सिक्योरिटी आर्किटेक्ट ‘डेनिस मकरुशिन’ ने अपनी खुद की रिसर्च में, उन जोखिमों का खुलासा किया जो कागज आधारित डेटा स्टोरेज से अस्पतालों में इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (EMR) सिस्टम में स्थिर माइग्रेशन के साथ आते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पतालों को टारगेट करने वाले हैकर्स के लिए व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले EMR-सिस्टम एक व्यापक प्रवेश पॉइंट खोलता है।
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