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Facebook, Microsoft और Academics ने DeepFake प्रतियोगिता का किया आयोजन

deepfake detection competition hindi

FaceBook और माइक्रोसॉफ्ट ने AI द्वारा बनाए गए डीपफेक वीडियो का पता लगाने के लिए एक प्रतियोगिता का साथ मिलकर आयोजन कर रहे हैं। यह प्रतियोगिता अक्टूबर से मार्च तक चलेगी।

इस प्रतियोगिता का मुख्य लक्ष्य नए सिस्टम के विकास के लिए है जो ये पता लगाएगा कि क्या वाकई में ये विडियो क्लिप AI द्वारा बनाई गई है या नहीं। वहीँ इसके साथ वो fake videos को भी पकड़ने में मदद करने वाली है.

यह एक ऐसी तकनीक है जो दिखने में बिल्कुल वास्तविक लगते हैं लेकिन असल में नकली होते हैं। इस तकनीक के जरिए हम किसी चेहरे को, दूसरे चेहरे के साथ मिला सकते हैं या किसी की फुटेज लेकर होंठों को बोलचाल की भाषा में हिला सकते हैं।

इस तरह हम पूरी तरह से एक नये नकली वीडियो का निर्माण कर सकते हैं जो देखने में बिल्कुल असली जैसी लगती है।

इस प्रतियोगिता का आयोजन भी यही चीज पता लगाने के लिए किया जा रहा है ताकि तकनीक निर्माता ये पता लगा सके कि AI तकनीक (artificial intelligence) से बने वीडियो को देखकर, लोग असली और नकली में फर्क पता कर पाते हैं कि नहीं?

इस प्रतियोगिता के काम करने का तरीका ये है: वीडियो का डेटाबेस बनाने के लिए फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट ने एक समूह बनाया है जिसमें भुगतान किए गए अभिनय कलाकार है।

इन अभिनेताओं द्वारा वीडियो रिकॉर्ड किए जाने के बाद, इन विडियोज को सहयोगी प्रायोजकों को सौंंप देते देंगे ताकि वो AI तकनीक से डीपफेक बना सके।

इसके इन्हीं नकली विडियोज को प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को पहचानना होगा। उसके बाद कार्यक्रम को रोक कर जजेज द्वारा एक ब्लैक बॉक्स में निर्णय रखा जाएगा।

फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और एकेडमिक ने एक टेस्टिंग मैकेनिज्म तैयार किया है। उसी के तहत प्रतिभागियों को डीपफेक वीडियो की पहचान करने पर स्कोर दिया जाएगा।

वैसे लोगों को बेवकूफ बनाने वाली तकनीक के कारण अमेरिकी सांसद सहित हर बुद्धिजीवी भविष्य के संकट को लेकर चिंतित है। वहीँ facebook ने इस प्रतियोगिता के लिए करीब $10 million प्रदान किया है.

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